बुधनी टाईम्स sjp
- बीती देर रात शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर 18-18 लाख की सफारी गाड़ियों में एसी ऑन कर पुलिस जवान खर्राटे भरते नजर आए। वे नींद में इतने बेसुध थे कि उन्हें अपने हथियारों तक की फिक्र तक नहीं थी।
- रांची पुलिस ने हाल ही में जनवरी से जून तक के अपराध का आंकड़ा जारी किया है। इस बढ़ते ग्राफ के पीछे का मूल कारण पुलिस की ऐसी लापरवाही ही है।
ड्राइवर और एएसआई दोनों सोते नजर आए
- सुबह 3.30 बजे प्लाजा चौक से उतरकर पेट्रोल पंप के बगल में पीसीआर खड़ी थी। लाइट जल रही थी। पीछे सीट पर दोनों जवान सो रहे थे। ड्राइवर अपनी सीट पर और एएसआई अपनी सीट पर सोया हुआ था।
- कांके रोड स्थित चांदनी चौक पर 3.45 बजे पीसीआर-10 खड़ी थी। यहां भी सायरन लाइट जल रही थी। ड्राइवर सीट नीचे करके सोया हुआ था। एएसआई और दोनों जवान सोए हुए थे। खिड़कियां भी खुली हुई थीं। हथियार की चिंता नहीं थी।- सुबह 4.05 बजे अरगोड़ा चौक के पास अशोक नगर वाली सड़क के किनारे गेट नंबर 2 के पास पीसीआर खड़ी थी। सायरन लाइट जल रही थी। अंदर एएसआई, ड्राइवर और दोनों जवान सो रहे थे। पीसीआर की खिड़कियां खुली हुई थीं।
- सभी पीसीआर में लोकेशन ट्रेस करने के लिए जीपीएस लगा हुआ है, ताकि यह पता चल सके कि गाड़ी मूव कर रही है या नहीं। जीपीएस का कनेक्शन गाड़ी की बैटरी से होता है। इसके साथ ही सायरन लाइट भी जुड़ा होता है।
ऑफिसर के पहुंचने पर ही होते हैं अलर्ट
- ज्यादातर पीसीआर सायरन लाइट को लगातार जलाकर बैटरी डिस्चार्ज कर देते हैं। ऐसे में जीपीएस को तय 12 वोल्ट का करंट नहीं मिल पाता। वह बंद हो जाता है। जीपीएस बंद होते ही लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाती। वायरलेस से लोकेशन लेकर जब तक अधिकारी पहुंचता है तब तक सब अलर्ट हो जाते हैं।
- सुबह 4.15 बजे मोरहाबादी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के पास अंधेरे में पीसीआर खड़ी थी। सायरन लाइट बंद थी। एएसआई समेत सभी जवान सो रहे थे। जैसे ही कैमरे का फ्लैश चमका, उनकी नींद टूट गई। फिर वे सभी बाहर गए।
