ग्वालियर.पिता को लिवर कैंसर आैर घर की बड़ी बेटी की आंखों में डॉक्टर बनने का सपना। घर के सदस्यों से लेकर अधिकतर नाते-रिश्तेदारों ने भी इस सपने काे असंभव माना। कारण पिता की बीमारी पर होने वाला खर्च, घर की माली हालत आैर फिर पढ़ाई के लिए महंगी फीस। बावजूद इसके बारहवीं पास करने के बाद पूनम गर्ग ने हिम्मत नहीं हारी।
मां, दादी आैर बुआ ने उसका साथ दिया। उसने अपनी पढ़ाई के लिए दूसरे बच्चोें को ट्यूशन पढ़ाया। खुद तैयारी की। अपनी हिम्मत आैर जज्बे से 2016 में पाहुंट ( प्री आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, यूनानी, नेचुरोपैथी एंड योगा) क्वालीफाई कर पूनम ने आयुर्वेद कॉलेज ग्वालियर में बीएएमएस में दाखिला लिया।
बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है
इस बार फर्स्ट प्रोफ 2017 की परीक्षा में पूनम ने 80.5 प्रतिशत अंकों के साथ मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रदेश में पहला स्थान पाया है। पूनम अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए अब भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है। पूनम से जब भास्कर ने उसकी कामयाबी के बारे में पूछा तो उसकी आंखों से आंसू छलक उठे। उसे याद आया कैंसर से कराहते पिता का चेहरा। जिसके चलते परिवार का अच्छा खासा व्यवसाय खत्म हुआ आैर परिवार के हर सदस्य को खुद कमाकर खाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ठान लिया था कि इसी क्षेत्र में रिसर्च करूंगी
घर के बड़े बुजुर्गों की भी हिम्मत जवाब दे गई थी। बकौल पूनम, पिता की बीमारी का इलाज जब आयुर्वेद में मिला तो मैंने ठान लिया था कि इसी क्षेत्र में रिसर्च करूंगी। जिससे पिता की तरह इस जानलेवा बीमारी से लोगों को निजात दिला सकूं। फिर मैंने आयुर्वेद में दाखिले के लिए पढ़ाई शुरू कर दी।
घर के बड़े बुजुर्गों की भी हिम्मत जवाब दे गई थी। बकौल पूनम, पिता की बीमारी का इलाज जब आयुर्वेद में मिला तो मैंने ठान लिया था कि इसी क्षेत्र में रिसर्च करूंगी। जिससे पिता की तरह इस जानलेवा बीमारी से लोगों को निजात दिला सकूं। फिर मैंने आयुर्वेद में दाखिले के लिए पढ़ाई शुरू कर दी।
छोटे भाई और बहन ट्यूशन पढ़ाकर व अन्य कामों से कर रहे हैं मदद
बुआ के यहां रहकर पढ़ाई कर रही मुरैना की पूनम कहती हैं - तमाम विरोध के बाद भी मां, दादी और बुआ मेरे साथ खड़ी रहीं। बुआ तो मुझे पढ़ाने के लिए ग्वालियर ले आईं। यहां पर मैंने ट्यूशन देकर बीएएमएस की पढ़ाई कर रही हूं। चार वर्षीय कोर्स और डेढ़ साल की इंटर्नशिप की फीस 2 लाख रुपए है। इसमें पहले ही साल में 60 हजार रुपए जमा करने थे। यह राशि ट्यूशन फीस के साथ भाई व बहन से मदद लेकर जमा की। छोटा भाई मुरैना में काम करता है। तीसरे नंबर की बहन भी ट्यूशन पढ़ाकर अपना और सबसे छोटे भाई का खर्च उठाती है।
